Bihar Election : NDA की प्रचंड जीत से विपक्ष हुआ ढ़ेर
बिहार में मची घमासान में बीजेपी सहित NDA ने प्रचंड जीत हासिल कर ली है। बिहार की बयार ने बीजेपी jdu समेत NDA गठबंधन की तरफ ही बह रही है ये बिहार के नतीजों ने साबित कर दिया है। वहीँ NDA का चेहरा बने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की इसे बड़ी जीत मानी जा रही है। विपक्ष को पछाड़ते हुए nda ने ऐतिहासिक और प्रचंड बहुमत हासिल किया है।
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीट है और बहुमत का आकंड़ा 122 का है जबकि NDA ने बड़े आसानी से 202 सीटों का जीत हासिल कर बिहार की गाडी पर अपना कब्ज़ा जमा लिया है। जिसमे भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 89, जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) ने 85, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) (LJP RV) ने 19, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) 5, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) ने 4 पर जीत हासिल की है वहीँ महागठबंधन (MGB) को महज 34 सीटों पर संतपोश करना पड़ा। जिसमे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को 25, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) को 6, CPI(ML)(L) को 2, CPI(M) को 1 सीट मिली। इसके साथ ही अन्य ने 7 सीटों पर जीत हासिल की AIMIM ने 5, BSP ने 1 और वहीँ 1 निर्दलीय ने भी जीत का कब्ज़ा जमाया।
अब लोगों में मन में एक सवाल बड़े तेजी से चल रहा है की क्या बिहार के अगले मुख्यमंत्री भिओ नितीश कुमार ही होंगे या बीजेपी अपने किसी दावेदार को मैदान में उतारेगी ? अब तक की सम्बावनाओं को देखते हुए लग रहा है की नितीश कुमार को भी मुख्यमंत्री की कुर्सी का ताज पहनाया जायेगा। अगर ऐसा होता है तो नितीश कुमार रिकॉर्ड दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे।
NDA की जीत के कई वजह है ;-
नितीश बाबू फैक्टर – नीतीश कुमार की छवि बिहार में सुशासन बाबू की है। और उनके चेहरा का बड़ा फायदा NDA को मिला है। महिलाओं के बिच भी उनकी नितीश बाबू काफी लोकप्रिय माने जाते है। ऐसे में माना जा रहा है महिलाओं ने बड़ी संख्या में घर से निकल कर अपने नितीश बाबू को जिताने के लिए वोट किया है।
पीएम मोदी फैक्टर – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फैन फोल्लोविंग तो पुरे देश में है ऐसे में बिहार में भी उनको खूब प्यार मिल रहा है और उनके नेतृत्व में देश का जो विकास हुआ है और उनकी कल्याणकारी योजनाओं ने बिहार में अपना जादू चलाया और लोगों ने उनको अपने वोट रूपी प्यार भर भर कर दिया।
मजबूत गठबंधन की रणनीति: बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास), हम और आरएलएम के बीच अनुशासित तालमेल और सटीक सीट-बंटवारा सफल रहा।
जातिगत समीकरण और EBC/OBC का समर्थन: NDA ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और गैर-यादव ओबीसी (OBC) समुदायों के बीच अपनी पकड़ मजबूत की, जो चुनावी जीत का मुख्य आधार साबित हुआ।
’जंगल राज’ का नैरेटिव: NDA ने अपने प्रचार में 2005 से पहले के ‘जंगल राज’ के नैरेटिव को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया, जिसने मतदाताओं को नीतीश कुमार के निरंतर नेतृत्व पर भरोसा करने के लिए प्रेरित किया।
महागठबंधन (RJD-INC-Left) की हार के कारण
कमजोर प्रचार: तेजस्वी यादव का चुनाव अभियान शुरुआती चरणों में धीमी गति से शुरू हुआ और माना गया कि उनके चुनावी वादों में कार्ययोजना की कमी थी।
क्या होगा अगला पड़ाव ?
आगे के लिए नितीश कुमार समेत NDA गठबंधन को बड़े मजबूती से निर्णय लेना होगा ताकि जो भरोसा बिहार की जनता ने ऊपर जताया है वो भरोसा कायम रह सकें।