Chhath Pooja : Origins, Legends, and Significance of the Ancient Sun Festival
दिवाली के बाद छठ की धूम — आस्था और विश्वास का महापर्व
दिवाली के बाद छठ पूजा की धूम पूरे जोरों पर रहती है। छठ सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि लोगों को अपने घर और अपनी जड़ों से जोड़ने वाला त्योहार है।
बच्चों का उत्साह, महिलाओं का तप और पूरे परिवार की श्रद्धा — यही छठ की असली पहचान है। सुख, समृद्धि, पूजा, जप व तप के इस पर्व की तैयारियाँ हफ्तों पहले से शुरू हो जाती हैं। कहा जाता है कि माँ सीता से लेकर द्रौपदी तक ने छठी मैया का व्रत रखा था, इसलिए इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
पहले छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी में मनाई जाती थी, लेकिन आज छठ का सम्मान पूरे भारत और विदेशों में भी बढ़ चुका है। यह पावन पर्व सिर्फ रीति-रिवाज नहीं, बल्कि आस्था, संयम और प्रकृति के प्रति सम्मान का उत्सव है। इसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? और इसकी शुरुआत किसने की थी? आइए जानते हैं इसकी प्रमुख कथाएँ —
छठ पूजा की शुरुआत से जुड़ी मुख्य कथाएँ
माँ सीता ने रखा छठी मैया का व्रत –
मान्यता है कि भगवान राम के वनवास से लौटने के बाद, माँ सीता ने लोगों की समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए सूर्य देव की उपासना करते हुए छठी मैया का व्रत रखा था। तब से ही छठ पर्व मनाने की परंपरा मानी जाती है।
द्रौपदी ने राज्य की वापसी के लिए की सूर्य उपासना –
महाभारत काल में द्रौपदी ने पांडवों की सुख-समृद्धि और राजपाट की वापसी के लिए छठ व्रत किया था। भक्ति और सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हेंस्वास्थ्य, शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
कर्ण — सूर्यपुत्र की सूर्य भक्ति
महाभारत के सूर्यपुत्र कर्ण प्रतिदिन सूर्य देव को अर्घ्य देते थे। उनकी वीरता और महान शक्ति का श्रेय भी सूर्य उपासना को दिया गया है।
राजा प्रियवंद की कथा
एक अन्य मान्यता के अनुसार, राजा प्रियवंद ने अपने पुत्र की रक्षा के लिए महर्षि कश्यप की सलाह पर छठी मैया की पूजा की थी। इससे उन्हें वरदान स्वरूप संतान सुख मिला।
सूर्य देव और छठ मैया
सूर्य देव के बिना जीवन संभव नहीं, इसलिए उनके प्रति कृतज्ञता ही छठ पूजा का मूल है। छठी मैया को उषा कहा जाता है — जो सूर्य देव की बहन मानी जाती हैं। मान्यता है कि जो भक्त 4 दिनों का यह कठोर व्रत पूरी श्रद्धा और नियम से करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

छठ पूजा के चार पवित्र दिन
नहाय-खाय — शुद्धता और सात्विक भोजन
खरना — निर्जला उपवास और गुड़-चावल की खीर का प्रसाद
संध्या अर्घ्य — डूबते सूर्य को अर्घ्य
उषा अर्घ्य — उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत पूर्ण
आधुनिक युग में छठ का महत्व
रामायण और महाभारत काल से चली
परंपरा आज और भी भव्य रूप में मनाई जाती है। समय बदल गया है, लेकिन
आस्था आज भी उतनी ही अटूट है। लोग नए कपड़े पहनते हैं, सूर्य देव की पूजा करते हैं,
छठ पूजा हमें संयम, शुद्धता, प्रकृति के प्रति आभार का संदेश देती है। यह त्योहार सिखाता है जहाँ सूर्य है, वहीं जीवन है।
आपके यहाँ छठ कैसे मनाया जाता है? कमेंट में ज़रूर बताइएगा!